एण्डटीवी के सोशल ड्रामा ‘भीमा‘ में एक छोटी सी लड़की ‘भीमा’ की दमदार कहानी और समान अधिकारों के लिए संघर्ष करने के उसके सफर को दिखाया गया है। इस शो का प्रसारण 6 अगस्त, 2024 सेे रात 8ः30 बजे किया जाएगा। इसका निर्माण राज खत्री प्रोडक्शंस ने किया है। यह शो 1980 की पृष्ठीाूमि पर आधारित है और अपनी जोरदार कहानी तथा मजबूत एवं अनोखे किरदारों से दर्शकों का दिल जीतने के लिए तैयार है। ‘भीमा’ क्यों अलग है और सबसे दिलचस्प शोज में से एक कैसे बन जाता है, इसके कारण नीचे बताये जा रहे हैं।
फिर से उठ खड़े हाने और चुनौती का सफरः ‘भीमा’ में भीमा नाम की एक लड़की की दिल को झकझोर देने वाली, लेकिन प्रेरणादायी यात्रा है। यह किरदार प्रतिभाशाली तेजस्विनी सिंह निभा रही हैं। भीमा का जीवन न्याय के लिये लगातार संघर्ष करने की गवाही देता है। यह शो बड़ी सावधानी से भीमा के परिवार, समाज और आर्थिक स्थिति के कारण बनने वाले बुरे हालात के साथ उसका सामना दिखाता है। कई तरह के अन्याय और भेदभाव झेलने के बावजूद भीमा निडर होकर इन बाधाओं पर जीत हासिल की कोशिश करती है।
1980 के ग्रामीण परिदृश्य की एक झलकः इस शो का काल्पनिक, लेकिन प्रेरक कथानक 1980 के दशक के ग्रामीण परिवेश को दिखाता है। इसमें उस वक्त की सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ और सांस्कृतिक आयाम दिखाये गये हैं। कहानी बयां करने में वह दौर गहराई लेकर आता है। ऐसे में किरदारों के संघर्ष और जीत ज्यादा असर डालती है।
दिल को छू लेने वाले किरदारः इस शो में अमित भारद्वाज ने भीमा के सहयोगी, लेकिन उलझन में रहने वाले पिता मेवा की भूमिका निभाई है जबकि स्मिता साबले ने उसकी माँ धनिया की भूमिका अदा की है। नीता मोहिन्द्रा इसमें प्रभावशाली कैलाशा बुआ बनी हैं, जबकि माया शर्मा को जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) का किरदार मिला है। हर किरदार इस शो की कहानी में बड़ा योगदान देता है।
डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर की विरासत को एक श्रद्धांजलिः ‘भीमा’ की कहानी कानूनों के लिये एक बच्ची की अटूट प्रतिबद्धता और भारतीय संविधान के शिल्पकार डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर के आदर्शों के लिये उसके समर्पण पर केन्द्रित है। समाज में व्याप्त वर्गीकरण, भेदभाव और प्रताड़ना को देखकर भीमा संविधान में बताये गये समानता के सिद्धांतों को बनाये रखने के मिशन के लिये प्रेरित होती है। ताकतवर लोगों के भयानक विरोध के बावजूद भीमा अपने अधिकारों के लिये लगातार लड़ती है।
माँ-बेटी का ताल-मेलः ‘भीमा’ के सबसे दमदार पहलुओं में से एक है माँ और बेटी के रिश्ते का खूबसूरत चित्रण। अपनी बेटी के भविष्य और उसकी सुरक्षा के लिये धनिया का डर भीमा के मजबूत संकल्प से टकराता है, जिससे बनने वाला आयाम मार्मिक और दमदार भी होता है। उनकी बातचीत में पीढ़ी-दर-पीढ़ी से चले आ रहे तनावों और साझा सपनों का उल्लेख होता है, जिससे कहानी आगे बढ़ती है।
एक ऐसा सोशल ड्रामा, जिसे जरूर देखा जाना चाहियेः भीमा का प्रीमियर होने वाला है और दर्शक ऐसी कहानी की उम्मीद कर सकते हैं, जो उनका मनोरंजन करने के साथ ही सामाजिक बाधाओं से उभरने की एक जोरदार कहानी भी लेकर आएगा। इसमें आशा, संकल्प और बदलाव के सार्वभौमिक विषय होंगे। यह सीरीज अपने दिलचस्प कथानक और शानदार किरदारों के कारण अनोखी है। दर्शकों को भीमा की चुनौतियाँ और जीत अपने जैसी लगेगी और ऐसे में उसका सफर प्रेरणादायक तथा दिल को छू लेने वाला बन जाएगा।